12 साल काबिज रहा तो किरायेदार बन जायेगा भवन / भूमि का स्वामी - उच्चतम न्यायालय

 


मुनेन्द्र शर्मा | बीइंग ब्रोकर  (www.beingbroker.com) नोएडा

उच्चतम न्यायालय के एक निर्णय के अनुसार यदि कोई किरायेदार 12 वर्ष तक काबिज रहता है तो उस भूमि या मकान पर किरायेदार का ही कब्जा माना जायेगा।। ऐसे में प्रोपर्टी एजेंसी की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा सकती है, नये प्रस्तावित रियल इस्टेट बिल में एजेंट को एजेंसी के तौर पंजिकृत कराना अनिवार्य होगा।। अब चलते हैं मुख्य बिंदु पर 

सीमा अधिनियम (लिमिटेशम एक्ट 1963), के तहत प्राइवेट ज़मीन पर यह सीमा 12 साल की है जबकि सार्वजनिक ज़मीन पर 30 सालों की।।

अरुण मिश्रा, एस अब्दुल नज़ीर और एमआर शाह की बेंच ने विस्तार से समझाते हुए कहा कि क़ानून 12 सालों तक किसी मालिक को अपने प्रॉपर्टी पर हक़ जताने का अधिकार देता है. यानी कि अगर किसी ज़मीन को लेकर विवाद है तो 12 सालों के दौरान केस फ़ाइल कर उसे वापस पाया जा सकता है।।

बेंच ने कहा, ‘अगर कोई व्यक्ति 12 सालों तक किसी प्रॉपर्टी पर रह रहा है तो उसे क़ानून बेदख़ल नहीं किया जा सकता. इतना ही नहीं 12 साल पूरा हो जाने के बाद संपत्ति के पहले मालिक के पास भी उसे हटाने का अधिकार नहीं रह जाता है और वर्तमान में रह रहे व्यक्ति के पास मालिकाना हक़ चला जाता है.’

जस्टिस मिश्रा की पीठ ने हालांकि कहा कि लिमिटेशन एक्ट, 1963 की धारा 65 में यह कहीं नहीं कहा गया है कि एडवर्स कब्जाधारी व्यक्ति अपनी भूमि को बचाने के लिए मुकदमा दायर नहीं कर सकता है. ऐसा व्यक्ति कब्जा बचाने के लिए मुकदमा दायर कर सकता है और एडवर्स कब्जे की भूमि का अधिकार घोषित करने का दावा भी कर सकता है.


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