Noida - 250 हाउसिंग सोसाइटी के निर्माण की होगी जांच, मॉल, कमर्शियल कॉम्प्लेक्स और अथॉरिटी का दफ्तर भी दायरे में होगा

Being Broker Realty Desk - विशेष संवाददाता नोएडा 

तीनों प्राधिकरण की २५० बहुमंजिला इमारतों का होगा सर्वेक्षण 


 गौतमबुद्ध नगर में सैकड़ों बहुमंजिला इमारतें हैं। जिसमें लाखों लोग निवास करते हैं । लंबे समय से नोएडा और ग्रेटर नोएडा में रहने वाले लोग मांग कर रहे हैं कि जिस सोसाइटी में वह निवासी करते हैं, उनकी जांच होनी चाहिए। उनकी सोसाइटी कितनी मजबूत हैं, यह पता लगाया जाए। अब लोगों की मांग पूरी होने जा रही है। जिले के तीनों विकास प्राधिकरणों के अफसरों की बैठक हुई। जिसमें फैसला लिया गया कि जिले में अब तक बनीं सभी हाउसिंग सोसाइटी का स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाया जाएगा। इतना ही नहीं ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की हेडक्वार्टर बिल्डिंग को भी जांच के दायरे में रखा गया है।


तीनों प्राधिकरण के एसीईओ बैठक में शामिल हुए


हाईराइज बिल्डिंगों का स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाने के लिए तीनों प्राधिकरण के एसीईओ की एक समिति गठित की गई है। यह समिति ऑडिट का प्रस्ताव तैयार करेगी। इसके बाद इमारतों की पूरी जांच की जाएगी। जांच में नक्शा, मैटीरियल और स्टैंडर्ड सहित कई पहलुओं को देखा जाएगा। दरअसल, बिल्डरों की बसाई गई इन इमारतों में आए दिन कहीं छज्जा गिरता है तो कहीं प्लास्टर टूटकर गिर जाता है। ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें बरसात के दिनों में बेसमेंट की दीवार पानी का झरना बन गई। गुरुग्राम में इसी साल फरवरी में पॉश चिंतल सोसाइटी में एक फ्लैट की छत ढह गई थी। उस हादसे में दो लोगों की मौत हो गई थी। उस सोसाइटी को बने ज्यादा वक्त नहीं हुआ था। गुरुग्राम की इस घटना के बाद नोएडा और ग्रेटर नोएडा की बिल्डर सोसाइटी के ढांचे की जांच-परख करवाने की मांग और तेज हो गई है।


तीनों प्राधिकरणों की करीब 250 सोसायटी


गौतमबुद्ध नगर में तीन विकास प्राधिकरण नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी हैं। तीनों प्राधिकरण के क्षेत्रों में करीब 250 हाउसिंग सोसायटी हैं। जिनमें 3,000 से ज्यादा हाईराइज टॉवर बनाए जा चुके हैं। इन सभी हाईराइज टॉवर का स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाया जाएगा। इसके अलावा कमर्शियल और इंस्टीट्यूशनल कॉम्प्लेक्स की संख्या 200 के करीब है विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अगले 3 महीने में विकास प्राधिकरण यह पॉलिसी ले आते हैं तो सारी इमारतों की जांच करने में कम से कम दो-तीन साल का वक्त लग सकता है। इसके लिए विकास प्राधिकरण को आईआईटी और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट जैसे पेशेवर संस्थानों का सहयोग लेना पड़ेगा।

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