Noida : अवैध फार्म हाउसों पर क्यु चल रहा है बुलडोजर : ब्यूटी फार्म हाउसों में क्यू फंसे हजारों लोगों के करोड़ों रुपये
बींइग ब्रोकर विशेष रिपोर्ट | रोहित भट्ट विशेष संवाददाता
नोएडा के समीपवर्ती क्षेत्रों में यमुना नदी और हिंडन नदी के संरक्षित डूब क्षेत्रों में कुक्करमुत्तों की भांति उग आये हजारों फार्महाउसों पर नोएडा प्राधिकरण का बुलडोजर पूरी गति से चल रहा है,
रिहाइश के लिए प्रतिबंधित इस डूब क्षेत्र में बहुत बड़ी संख्या में बने आलीशान फार्म हाउसों को देखकर एक बार भी ऐसा नही लगता है कि ये फार्म हाउस अवैध रूप से बनाये गये थे और ना ही पिछले 10 वर्षों से नोएडा प्राधिकरण के बुलडोजर ने इनकी ओर रुख किया तथापि यह गौर करने वाली बात है कि पिछले १० वर्षों में इतनी बड़ी संख्या में बनें इन अवैध फार्म हाउसों पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नही हुई?
क्या नोएडा के वह अधिकारी जिन्हे नोएडा के चप्पे-चप्पे की जानकारी रहती है, उन्हे इन ग्रीन ब्यूटी कहे जाने वाले फार्म हाउसों की जानकारी नही हो पायी? उल्लेखनीय बात यह भी है कि इस दौरान इन फार्म हाउसों की रजिस्ट्री भी होती रही.
डूब क्षेत्र में फार्म हाउस को तोड़ता हुआ बुलडोजर |
दिल्ली में बने फार्म हाउसों की तर्ज पर डूब क्षेत्र के इस प्रतिबंधित इलाके में फार्म हाउसों का मकड़जाल फैलता गया, इति तो तब हुई जब कुछ गावों के मुख्य या सहयोगी मार्गों पर इन फार्म हाउसों के मालिकों द्वारा कब्जे किये जाने के आरोप सामने आये.
सूत्रों के अनुसार कुछेक फार्मों से दक्षिणा के लिए दो अधिकारियों द्वारा चलाया गया बुलडोजर चला तो मीडिया में सुर्खियां बन गयी,
''लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में, यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है'' राहत इंदौर
फार्म हाउसों को क्यू तोड़ रहा नोएडा प्राधिकरण
ये सभी फार्म हाउस उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा घोषित डूब क्षेत्रों में बनाये गये हैं जहां किसी भी रिहाइश की अनुमति नही है, कुछ विशेष परिस्थितियों में उक्त क्षेत्रों में बसे गांवों को गांव की सीमाओं के अंदर घर बनाने की अनुमति है।।
डूब क्षेत्रों को सिचाई विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा नदियों के फाट को नियंत्रित करने के लिए रखा जाता है, और यहा आबादी बसाना कानूनी रूप से गलत है, केवल कृषि उपयोग में इस भूमि को लाया जा सकता है.
सूत्र बताते हैं कि २००५ से इन अवैध हाउसों का बनने का सिलसिला २०१० के दशक में बूम की तरह उभरा, जब प्रत्येक चौराहे पर इन फार्म हाउसों के बेचने के बैनर लगाये कुछ लोग दिखाई दिये. केवल मध्यवर्गीय ही नही वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और सेना से जुड़े लोगों द्वारा बड़ी संख्या में इन फार्म हाउसों में निवेश किया गया. संभवत: यही कारण रहा कि २०२२ तक इन फार्म हाउसों पर कार्यवाही करने की किसी अधिकारी ने हिम्मत नही दिखाई. बहरहाल इस बार नोएडा प्राधिकरण लगातार कार्रवाई कर रहा है और कार्यपालक अधिकारी रितु महेश्वरी ने इस कार्यवाही को बड़े स्तर पर चलाने की बात भी कही है, तो देखना यही है कि कब तक प्राधिकरण की कार्रवाई चलती है.
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